किचन गार्डन | Kitchen Gardening
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किचन गार्डन (Kitchen Gardening)
COVID-19 (कोरोनावायरस) दो सौ से अधिक देशों में लगातार फैल चुका है और बीमारी बहुत तेजी से बड़ रहा है। 31 जनवरी 2022 तक, COVID-19, नोवेल कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी ने करोड़ों लोग संक्रमित किया है, COVID-19 के चलते देश में लगाए गए कर्फ्यू के चलते लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के काम आने वाली कई वस्तुओं के किल्लत का सामना पड़ रहा है। लेकिन इस दौर में लोगों को जिस चीज की ज्यादा आवश्यकता पड़ी है, वह है खाने-पीने की वस्तुएं। लॉकडाउन ने लोगों में इस चीज का एहसास ज्यादा कराया है कि खाने के लिए अनाज और सब्जियों का समय पर मिलना कितना जरुरी है।
एक किचन गार्डन है जो कि हमारे उपभोग के लिए उपयोगी सब्जियों और अन्य पौधों को उगाने, फूलों के बगीचे के लिए होते है। यह सब्जी उगाने का छोटा रूप है । एक किचन गार्डन में आमतौर पर एक खाद ढेर और कई भूमि के विभाजित क्षेत्र शामिल होते हैं, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भूमि में एक या दो प्रकार के पौधे उगाना होता है। विभिन्न पंक्तियों में उगाई जाने वाली सब्जियों के साथ भूमि को भी पंक्तियों में विभाजित किया जा सकता है। यह आमतौर पर घर के आगे या पीछे स्थित होता है । कई परिवारों के पास घर की रसोई और सब्जी के किचन गार्डन हैं जिनका उपयोग वे भोजन बनाने के लिए करते हैं।
किचन गार्डन किस कहते हैं:
रसोई घर बाग या आंगनबाडी उस बाग को कहा जाता है जो घर के पिछवाड़े या बगल में या घर के आंगन में अवस्थित खुली जगह में लगाया जाता है, ऐसी वाटिका जहां पारिवारिक श्रम से परिवार के उपयोग हेतु विभिन्न मौसम में, विभिन्न सब्जियां तथा मौसमी फल प्राप्त किये जा सके। यह वाटिका बड़ी भी हो सकती है तथा छोटी अर्थात् दो क्यारियें वाली भी हो सकती है। आधुनिक समय में गृहणी रसोई वाटिका के लिए थोड़ा स्थान घर के पिछवाड़े प्रयोजनवस छुड़वाती है। प्राचीन काल से ही घर के पिछवाड़े या अगल-बगल या आंगन में रसोईघर बाग लगाने का शौक होता है।
किचन गार्डन का महत्व:
- सब्जियां हमारे दैनिक जीवन में विशेष रूप से शाकाहारियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
- सब्जियां न केवल खाद्य पदार्थों के पोषक मूल्यों को बढ़ाने का एकमात्र स्रोत हैं ।
- हर मौसम की शाक सब्जियां ताजी एवं हरी अवस्था में उपलब्ध हो जाती है।
- नींबू, पपीता, केला आदि जैसे फल बाजार से प्राप्त करने की तुलना में कम खर्च तथा सरलता से सर्वदा उपलब्ध हो सकते हैं।
- रसोईघर बाग की जातीय गंदगी, गंदा जल, राख, शाक सब्जियों के डंठल छिलके उपयोग में न आने वाले भाग, चावल-दाल, शाक-सब्जियों तथा मांस-मछली में घोवन आदि के खपाने का अच्छा साधन होता है इन बेकार पदार्थों का उपयोग खाद के रूप में भी किया जाता है।
- संतुलित आहार के लिए, पोषण विशेषज्ञों के अनुसार एक वयस्क को 85 ग्राम फल और प्रति दिन 300 ग्राम सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- लेकिन हमारे देश में सब्जियों के उत्पादन का वर्तमान स्तर प्रति व्यक्ति केवल 120 ग्राम सब्जियों की प्रति व्यक्ति खपत है।
किचन गार्डन का उद्देश्य:
रसोईघर बाग लगाने का उद्देश्य निश्चित रूप से पुष्पोद्यान लगाने के उद्देश्य से भिन्न होता है, रसोईघर बाग लगाने का उद्देश्य घर की शाक-सब्जियों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ण या आंशिक पूर्ति करने का प्रयास करना तथा दैनिक आहार आयोजन में विविधता एवं ताजगी लाने की समुचित मात्रा में हरी शाक-सब्जियॉ सलाद के पत्ते आदि प्रतिदिन प्राप्त करने का प्रयास करना होता है, रसोईघर बाग लगाने का उद्देश्य मूलतः उपयोगिता पूरक होता है। रसोईघर बाग लगाने से प्रतिदिन ताजी हरी शाक सब्जियॉ सलाद तथा धनिया आदि की पत्तियां प्राप्त करते रहने की इच्छा की संतुष्टि करने का उद्देश्य प्रधान होता है।
क्यों किचन गार्डन आवश्यकता:
- सब्जियों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, उपलब्ध ताजे पानी के साथ-साथ रसोई के रूप में हमारे बैकयार्ड में अपनी सब्जी की आवश्यकताओं का उत्पादन करने के लिए।
- यह केवल सब्जियों की अपनी आवश्यकता के सफल उत्पादन की सुविधा प्रदान करेगा।
- एक छोटे से क्षेत्र में खेती प्रभावित भागों और रसायनों के गैर-उपयोग को हटाने के माध्यम से कीटों और रोगों को नियंत्रित करने के तरीकों की सुविधा प्रदान करती है।
- यह एक सुरक्षित अभ्यास है, जो उत्पादित सब्जियों में कीटनाशकों के विषाक्त अवशेषों का कारण नहीं बनता है।
किचन गार्डन भूमि की चयन:
- रसोई के बगीचों के लिए साइटों के चयन के लिए सीमित विकल्प होगा और अंतिम विकल्प आमतौर पर घर के पिछवाड़े है।
- यह सुविधाजनक है क्योंकि परिवार के सदस्य अवकाश के दौरान सब्जियों को लगातार देखभाल दे सकते हैं और बाथरूम और रसोई से अपशिष्ट जल को आसानी से सब्जी बेड पर ले जाया जा सकता है।
- एक रसोई उद्यान का आकार भूमि की उपलब्धता और उन व्यक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है जिनके लिए सब्जियां प्रदान की जानी हैं।
- रसोई के बगीचे के आकार में कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन जहां भी संभव हो आयताकार उद्यान एक वर्ग एक के लिए पसंद किया जाता है।
- उसके बाद मृदा जांच से मृदा की उर्वरता स्तर का पता चलता है कि हमारी मृदा में कौन से तत्व की कमी है और कौन से तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
- इससे हम जो फसल उगाने जा रहे हैं उसमें उर्वरक या खाद की मात्रा तय हो जाती है।
- मिट्टी ऊसर या अनुपजाऊ तो नहीं हो रही है इसका भी पता चल जाता है।
- फसल को मृदा जनित रोग या अन्य रोग व्याधियों से बचाया जा सकता है।
- मृदा परीक्षण करने से उस खेत में 3 साल तक मृदा परीक्षण नहीं करना पड़ता। 3 साल बाद फिर से मिट्टी की जाँच करा सकते हैं ।
भूमि की तैयारी:
- सबसे पहले एक कुदाल से खुदाई 30-40 सेमी की गहराई तक की जाती है।
- पत्थर, झाड़ियों को हटा दिया जाता है।
- 100 किलोग्राम अच्छी तरह से विघटित खेत की खाद या वर्मीकम्पोस्ट को मिट्टी में मिलाकर लगाया जाता है।
- आवश्यकता के अनुसार 45 सेंटीमीटर या 60 सेंटीमीटर के अंतर पर नली बनाए जाते हैं।
- लकीरें और नली के बजाय फ्लैट बेड भी बन सकते हैं।
बुवाई और रोपण:
एक रसोई उद्यान का मुख्य उद्देश्य अधिकतम उत्पादन और पूरे वर्ष के लिए सब्जियों की निरंतर आपूर्ति होती है। कुछ प्रक्रियाओं का पालन करके, इस उद्देश्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
- सीधी बोई गई फसल जैसे भिंडी, क्लस्टर बीन्स और लोबिया को 30 सेंटीमीटर के अंतर पर लकीर के एक तरफ बोया जा सकता है। छोटे प्याज, पुदीना और धनिया के साथ लगाया जा सकता है।
- टमाटर, बैगन और मिर्च जैसी रोपाई वाली फसलों के बीज एक महीने पहले नर्सरी बेड या गमलों में बोए जा सकते हैं। ऊपर से मिट्टी के साथ बुवाई और कवर करने के बाद और फिर 250 ग्राम नीम केक के साथ धूल (Dust) करना ताकि बीज को चींटियों से बचाया जा सके। टमाटर के लिए बुवाई के लगभग 30 दिन बाद और बैगन और मिर्च के लिए 40-45 दिन और बड़े प्याज को नर्सरी से निकाल दिया जाता है और टमाटर, बैंगन और मिर्च के 30-45 सेमी के अंतर पर लकीरों के एक तरफ प्रत्यारोपित (Transplant) किया जाता है और 10 सेमी बड़े प्याज के लिए लकीरें के दोनों ओर पौधों को रोपाई (Nursery) के तुरंत बाद और फिर से 3 दिन सिंचाई करनी चाहिए। रोपाई को पहले चरणों में दो दिनों में एक बार और फिर 4 दिनों में एक बार सिंचाई की जा सकती है।
- बारहमासी (पुरे वर्ष) पौधों को बगीचे के एक तरफ स्थित होना चाहिए, आमतौर पर बगीचे के पीछे के छोर पर ताकि वे अन्य फसलों को छाया न दें, अन्य वनस्पति फसलों के साथ पोषण के लिए प्रतिस्पर्धा करें।
- बगीचे के चारों ओर पैदल पथ के लिए और केंद्रीय पैदल पथ का उपयोग विभिन्न छोटी अवधि की हरी सब्जियों जैसे कि धनिया, पालक, मेथी आदि के उगाने के लिए किया जा सकता है।
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किचन गार्डन में क्या-क्या उगाएँ:
आपके पास खुला प्लाट हो तो उगाने वाली सब्जियों की कोई सीमा नहीं है। फल वाले पेड़ जैसे पपीता, नींबू व अमरूद आदि भी शाक-सब्जियों के साथ-साथ उगाए जा सकते है। पर्याप्त खुला स्थान नहीं है। तो आप सीमित तरीके से गृह-वाटिका लगा सकते हैं जैसे टमाटर, मिर्च, सीताफल, करेला, मटर, मेथी, पालक, मूली, धनियाँ आदि।
किचन गार्डन (Kitchen Garden) में शाक-सब्जियों को वर्ष में तीन बार बोया जा सकता है:
फसलो के मौसम (ऋतु) (Season of Crops):
खरीफ की फसल (Kharif Crops):
खरीफ फसलो की खेती का समय अवधि बोवाई जून-जुलाई से लेकर कटाई अक्टूबर-नवंबर में होती है, इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है।
जैसे- भिंडी, लौकी, करेला, टिंडा, तोरई, बैंगन, टमाटर, ग्वार, लोबिया, मिर्ची, अरबी आदि सब्जियों की खेती की जा सकती है ।
रबी की फसल (Rabi Crops):
रबी फसलो खेती की समय अवधि बोवाई अक्टूबर-नवंबर से लेकर कटाई मार्च-अप्रैल में होती है इन फसलों को कम तापमान तथा अपेक्षाकृत पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।
जैसे- बैंगन, सरसों, मटर, प्याज, लहसुन, आलू, टमाटर, शलजम, फूलगोभी, बंदगोभी, चना आदि सब्जियों की खेती की जा सकती है।
जायद की फसल (Zaid Crops):
जायद फसलो की खेती का समय रबी एवं खरीफ की मध्यवर्ती समय में होता है अर्थात बोवाई मार्च में करके जून तक काट ली जाती है, इन फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं।
जैसे- भिंडी, ककड़ी, खीरा, लौकी, तोरई, टिंडा, अरबी, तरबूज, मतीरा, खरबूजा, बैंगन, मिर्ची (Chilly), टमाटर (Tomato), कद्दू (India Pumpkin), खरबूजा (Muskmelon), तरबूज (Watermelon), लौकी (Bottle gourd), तोरई (Sponge gourd), खीरा (Cucumber) और सभी कुकरबिटेसि फेमेली (Cucurbitaceae family) आदि सब्जियों की खेती की जा सकती है।
विभिन्न सब्जियों के बीज एवं पौध लगाने का समय:
महीना (Months) | फसल का नाम (Name of Crops) |
जनवरी | तरबूज, खरबूज, मूली, चुकन्दर, धनियां, संकर बन्दगोभी लोबिया, भिण्डी, कद्दू, ककड़ी, करेला व हरे साग । |
फरवरी, मार्च | भिण्डी, बैगन, चौलाई, करेला, परवल, कुंदरू, ग्वालफली, लोबिया । |
अप्रैल | भिण्डी, ककड़ी, करेला, कद्दू, परवल, कुंदरू । |
मई | अधिक गर्मी के कारण जमीन सूख जाती है, अतः कोई फसल नहीं बोयी जाती हैं । |
जून | लौकी, तोराई, मिर्च, भिण्डी, अरबी, सेम, करेला, भुट्टा, टमाटर तथा मूंगफली, अगेती गोभी । |
जुलाई | खरीफ प्याज, बैगन, शकरकन्द, चुकन्दर, धनिया, पोदीना, अदरक, गाजर, केला, सेब, शलजम । |
अगस्त | मध्यम फूल गोभी, गांठगोभी, शलजम, गाजर, भिण्डी, टमाटर, मूली, पालक, लोबिया धनिया । |
सितम्बर | टमाटर, पपीता, मूली, चुकन्दर, फूलगोभी, परवल, आलू, गाजर । |
अक्टूबर | मटर, बैगन, फूलगोभी, बन्दगोभी, गाजर, आलू, मेथी, पालक, चौलार्इ, चुकन्दर, शलजम, हरी प्याज, मिर्च, टमाटर तथा अन्य पत्ती वाले साग । |
नवम्बर | मटर, मूली, शलजम, चुकन्दर, बन्दगोभी, आलू, हरे साग, धनियां, प्याज टमाटर। |
दिसम्बर | प्याज हरे साग, मूली। |
किचन गार्डन से लाभ:
- नींबू पपीता, केला तथा अमरूद आदि के वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
- अवकाश के समय परिवार के सदस्य रसोई घर-बाग में काम करके आवश्यकता से अधिक शाक-सब्जियां पैदा कर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकते है।
- घर के चारों और खाली भूमि का सदुपयोग हो जाता है।
- मन पंसद सब्जियों की प्रप्ति होती है।
- घर के विभिन्न सदस्यों जैसे अवकाश प्राप्त तथा वृद्ध सदस्यों तथा किशोर वर्ग के लिए मनोरंजन का उत्तम साधन होता है, स्वयं लगाये पौधों तथा वृक्षों के फलते फूलते तथा बढ़ते देखकर नैसर्गिक सुख-रचनाकार होने का सुख होने की अनुभूति होती है।
- परिवारिक व्यय में बचत होती है।
- सब्जी खरीदने के लिये अन्यत्र जाना नहीं पड़ता।
- आज की भौतिकवादी दुनिया में मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है, ऐसे समय में वहां पर बैठकर तथा फलते-फूलते हुए देखकर उनसे जुड़े होने तथा उनके माध्यम से प्रकृति से जुड़े होने का अहसास होता है।
- घर के व्यर्थ पानी व कुड़ा करकट का सदुपयोग हो जाता है।
- बाजार से खरीदकर लायी गयी शाक, सब्जियों की तुलना में रसोईघर बाग से प्राप्त शाक-सब्जियां अधिक स्वास्थ्यप्रद एवं स्वादिष्ट होती है तथा इनका पोषणमान भी ज्यों का त्यों बना रहता है। आहार में विविधता, रसोईघर में लगे हुए सलाद सोआ, मेथी, धनिया, लहसुन, मूली, गाजर, टमाटर, हरी मिर्च तथा शाक सब्जियों की सहायता से गृहणी तत्काल ही विभिन्न प्रकार के सलाद तथा व्यंजन बनाकर परिवार के लिए आहार आयोजन में आकर्षण तथा विविधता ला सकती है।
बोसाई (Bonsai) तकनीक का उपयोग:
बोसाई तकनीक के द्वारा कम जगह और छोटे पौधों में सब्जियाँ तथा फल तैयार किया जा सकता है इन वृक्षों के लघु रूप में मूल वृक्षों के सभी गुणों का समावेश होता है। इस प्रकार से बोसाई तकनीक का प्रयोग करके कम जगह तथा छोटे पौधों के सहारे विभिन्न प्रकार की शाक-सब्जियाँ उपलब्ध की जा सकती है।