अक्टूबर माह के कृषि कार्य | Agriculture work for the month of October

अक्टूबर में बोई जाने वाली फसल | Agriculture work for the month of October | अक्टूबर में बोई जाने वाली फसलें |अक्टूबर माह के कृषि एवं बागवानी कार्य | October maah ke krishi karya |अक्टूबर माह के कृषि कार्य

रबी फसलों का उत्पादन मिट्टी परिक्षण के आधार पर संतुलित पोषण, उचित जल एवं खरपतवार प्रबंधन पर ही निर्भर करता है।रबी मौसम में अधिक पैदावार लेने के लिए आवश्यक कृषि कार्यों की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है।, वहीँ खरीफ फसलों की भरपूर पैदावार भी एक मुख्य कारण है तो दूसरी तरफ रबी मौसम की तैयारी भी शुरू होती  है।

अक्टूबर माह के कृषि कार्य | Agriculture work for the month of October:

मिट्टी परीक्षण (Soil Testing):

  • अक्टूबर माह में खेत खाली होने पर मिट्टी के नमूने ले लें।
  • 3 वर्षों में एक बार अपने खेत का मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाएं ताकि, मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों (नत्रजन, फास्फोरस, पोटाशियम, सल्फर, जिक, लोहा, तांबा, मैंगनीज व अन्य) की मात्रा तथा फसलों में कौन सी खाद कब व कितनी मात्रा में डालनी है, का पता चल सके

अन्न भण्डरण ( खाद्य सुरक्षा):

  • खरीफ की फसलों के दानों को कीड़े बहुत नुकसान पहुचातें हैं, इनसे बचाव के लिए अन्न को धूप में अच्छी तरह सुखा लें तथा साफ कर लें।
  • गोदान में सुराख व दरारें अच्छी तरह बंद कर लें। नई बोरियां प्रयोग में लाएं।

फसलोत्पादन:

धान (Paddy):

  1. चूहों के नियंत्रण के लिए जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्युमीनियम फास्फेट की गोली का प्रयोग करें।
  2. धान में जीवाणु झुलसा रोग, जिसमें पत्तियों के नोक व किनारे सूखने लगते हैं, की रोकथाम के लिए पानी निकालकर एग्रीमाइसीन 75 ग्राम या स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 15 ग्राम व 500 ग्राम कापर ऑक्सीक्लोराइड का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  3. तना छेदक कीट, जिसके आक्रमण से सूखी बाल बाहर निकलती है, जिसे सफेद बाल भी कहते हैं, की रोकथाम के लिए ट्राइकोग्रामा नामक परजीवी को 8-10 दिन के अन्तराल पर छोड़ना चाहिए। क्लोरो-पायरीफास 20 र्इ०सी० 1.5 लीटर हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  4. गन्धीबग, जिसमें कीटों द्वारा बाली का रस चूस लेने के कारण दाने नहीं बनते हैं और प्रभावित बालियाँ सफेद दिखाई देती हैं, की रोकथाम के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा की दर से फूल आने के समय बुरकाव करें।
  5. अगैती फसल की कटाई करें।
  6. धान की कटाई से एक सप्ताह पहले खेत से पानी निकाल दें।
  7. जब पोधे पीले पडने लगे तथा वालियां लगभग पक जायें तो कटाई हासिएं या कवाईन मशीनों से करें।
  8. देर करने पर दाने खेत में ही झड़ जाते हैं तथा पैदावार कम मिलती है।
  9. धान को १२ प्रतिशत नमी तक सुखाकर भण्डारण करें।
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अरहर (Pigeonpea/Redgram):

  1. अरहर की अगैती फसल में फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर मोनोक्रोटोफास 36 ई०सी० 800 मिलीलीटर 500-600 लीटर पानी में 15-20 दिन के अन्तराल पर दो छिड़काव करें।
  2. अक्टूबर में सिंचाई न करें नहीं तो फसल जल्दी नहीं पकेगी।
  3. अरहर में 70% फलियां लगने पर प्रति हेक्टेयर मोनोक्रोटोफास 36 ई०सी० 800 मिलीलीटर 500-600 लीटर पानी में 15-20 दिन के अन्तराल पर दो छिड़काव करें। इससे फली छेदक की रोकथाम हो सकेगी।
  4. अरहर अक्टूबर के अन्त तक पक जाती है ।

मॅूगफली (Groundnut):

  1. फलियों की वृद्धि की अवस्था पर सिंचाई करें।
  2. मानसून के बाद चेपा मूगफली (Teela Jassid,Thrips) के पोधों का रस चूसता है जिसकी रोकथाम के लिए 200 मि.ली. मैलाथियान 70 ई.सी. को 200 लीटर में मिलाकर छिडकें।
  3. अक्टूबर के अन्त में या नवम्बर के शुरू में मूगफली फसल में आखिरी सिंचाई कर दें। इससे भरपूर फलियों निकलती है व फसल खुदाई भी आसान हो जाती है।
  4. बची हुई नमी अगली फसल बोने के काम भी आ जाती है।
  5. ट्रैक्टर से चलने वाला मूगफली खुदाई यंत्र से पूरी पैदावार मिलती है।

कपास (Cotton):

  1. देशी कपास की चुनाई 8-10 दिन के अन्तर पर करते रहे।
  2. अक्टूबर में अमेरिकन कपास भी चुनाई के लिए तैयार है, इसे 17-20 दिन के अन्तर पर चुने व सूखें गोदामों में रखें।
  3. यदि चित्तीदार सूडी, गुलाबी सुंडी, कुबडा कोडा का प्रकोप नजर आये तो जुलाई में बताई विधि से दवाईयों का छिडकाव करें।

शीतकालीन मक्का (Winter Maize):

सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने पर मक्का की बोआई अक्टूबर के अन्त में की जा सकती है।

शरदकालीन गन्ना (Winter Sugarcane):

  1. बुवाई के लिए पिछले वर्ष शरद ऋतु में बोए के गन्ने से बीज प्राप्त करें। 
  2. इस समय बोआई के लिए अक्टूबर का पहला पखवारा उपयुक्त है।
  3. बोआई शुद्ध फसल में 75-90 सेमी० तथा आलू, लाही या मसूर के साथ मिलवा फसल में 90 सेमी पर करें।
  4. बीज उपचार के बाद ही बोआई करें। 250 ग्राम एरीटान या 500 ग्राम एगलाल 100 लीटर पानी में घोलकर उससे 25 कु० गन्ने के टुकड़े उपचारित किये जा सकते है।
  5. अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में शरदकालीन गन्ना लग सकता है जिसमें लाईनें 2 फुट दूर रखें यदि लाईनें 3 फुट दूर रखें तो बीच में एक लाईन आलू लगा दें। आलू के लिए खाद अतिरिक्त दें । 
  6. गन्ने में 27 दिनों के अन्तर पर सिंचाई करते रहे।
  7. अक्टूबर में पायरिल्ला कीड़ा गन्ने का रस चूसता है तथा गुरदासपुर व अगोला वेधक गन्ने में सुराख कर देते है।

तोरिया, राई, सरसों (Torai, Ray, Mustard):

  1. बोआई के 20 दिन के अन्दर निराई-गुड़ाई कर दें साथ ही सघन पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी कर दें।
  2. राई की बोआई के लिए माह का प्रथम पखवाड़ा सबसे उपयुक्त है।
  3. समय से बोआई के लिए बरूणा, नरेन्द्र राई 8501, रोहिणी तथा देर से बोआई के लिए आशीर्वाद व वरदान अच्छी प्रजातियाँ हैं।
  4. सरसों व राई 10 अक्टूबर तक बीज बोवाई कर सकते है।
  5. सितम्बर में बोई तोरिया व सरसों में आधा बोरा यूरिया पहली सिंचाई पर दे दें।
  6. अक्टूबर माह में लाल बालों वाली सुण्डियों व सरसों की आरा मक्खी फसलों को नुकसान करती है।
  7. सुण्डियां समुह में होने पर पत्तियां तोडकर नष्ट कर दें।
  8. बीमारियों से बचाव के लिए रोगरहित बीज चुने व समय पर बीजाई करें।

आलू (Potato):

  1. आलू के साथ मिलावा फसल के लिए आलू की तीन कतार के बाद राई का एक कतार बोए।
  2. बोआई के 20 दिन के अन्दर घने पौधों को निकालकर लाइन में उनके मध्य आपस की दूरी 15 सेमी कर दें।

मटर (PEA):

  • मटर की बोआई माह के दूसरे पखवाड़े में करें।
  • रचना, पन्त मटर 5, अपर्णा मालवीय मटर-2, मालवीय मटर-15, शिखा एवं सपना अच्छी प्रजातियाँ हैं।

चना (Gram):

  1. ना अच्छी जल निकास वाली दोमट रेतीली तथा हल्की मिट्टी में अच्छा होता है।
  2. खारी व कल्लर वाली मिट्टी जहां pH 7.5 से अधिक, जहां पानी का स्तर ऊंचा हैं, चना न लगाये। 
  3. चना की बोआई माह के दूसरे पखवाड़े में करें।
  4. दाने के लिए प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम तथा बौनी किस्मों के लिए 125 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  5. पूसा 256, अवरोधी, राधे, के०-850, आधार तथा ऊसर क्षेत्र में बोआई के लिए करनाल चना-1 अच्छी प्रजातियाँ हैं।
  6. काबुली चना की पूसा-1003, चमत्कार, शुभ्रा अच्दी किस्में हैं।

बरसीम (Barseem):

  1. बरसीम की बोआई माह के प्रथम पखवाड़े में प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा बीज दर के साथ 1-2 किग्रा चारे वाली राई मिलाकर करें।
  2. बरसीम कल्चर से उपचारित बीज का ही प्रयोग करें। 

गेहूँ (Wheat):

  1. असिंचित क्षेत्रों में गेहूँ बोने का कार्य अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह से प्रारम्भ करें।
  2. असिंचित क्षेत्रों के लिए देवा, के-8027, के-8962 एवं गोमती अच्छी किस्में हैं।

जौ (Barley):

  1. असिंचित क्षेत्रों में जौ की बोआई 20 अक्टूबर से शुरू कर सकते हैं।
  2. बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम बीज की मात्रा की आवश्यकता होती है। 
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सब्जियों की खेती (Cultivation of Vegetables):

  1. सब्जियों की खेती पहले नर्सरी में कम्पोस्ट खाद मिलाकर नर्सरी तैयार करें, फिर 5 कि.ग्रा. बीज को नर्सरी में लगायें।
  2. आलू की अगेती किस्मों: कुफरी अशोका, कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी जवाहर की बोआई 10 अक्टूबर तक तथा मध्य एवं पिछेती फसलः कुफरी बादशाह, कुफरी सतलज, कुफरी पुखराज, कुफरी लालिमा की बोआई 15-25 अक्टूबर तक करें।
  3. एक हेक्टेयर आलू की बुवाई के लिए लगभग 20 से 25 कुंटल बीज की आवश्यकता होती है।
  4. जाड़े की अन्य सब्जियों पालक, मेथी, धनिया, गाजर, मूली की बुवाई कतारों में करें।
  5. प्रति प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए पालक व मेथी 20 से 30 किलोग्राम, गाजर 6 से 8 किलोग्राम,  मुली 8 से 10 किलोग्राम तथा धनिया 15 से 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  6. सब्जी मटर एवं लहसुन की बोआई करें।
  7. पत्तागोभी की मध्य अवधि व पछेती किस्म की नर्सरी में बुवाई पूरे अक्टूबर करते हैं तथा इन की रोपाई भी मध्य अक्टूबर से प्रारंभ की जा सकती है। 

बागवानी (Gardenig):

  1. किसान भाई खेती के साथ-साथ घर के आस-पास फूल भी उगायें।
  2. इससे अपने वातावरण को सुंदर बनाने तथा मन को शांति मिलती है।
  3. सितम्बर माह में बीजी नर्सरी से पौध को गमलों या क्यारियों में लगा दें।
  4. सर्दियों में खिलने वाले फूलों को अक्टूबर माह में भी बीज सकते है । 
  5. पपीता की रोपाइ करें।
  6. पपीते को तन्ना गलन रोग से बचाने के लिए खेत में पानी न खडा रहने दें।
  7. आंवला में शूट गाल मेकर से ग्रस्त टहनियों को काटकर जला दें।
  8. आंवला में शुष्क  वीगलन की रोकथाम के लिए 6 ग्राम वोरैक्स प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आम में गुम्मा रोग की रोकथाम हेतु एल्फा नैपथलीन एसीटिक एसिड 4 एम०एल० प्रतिलीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
  9.  घास के लॉन में बारीकी से कटाई के बाद हल्का यूरिया छिडकें।

पुष्प व सुगन्ध पौधे (Flowers):

  1. किसान भाई खेती के साथ-साथ घर के आस-पास फूल भी उगायें।
  2. इससे अपने वातावरण को सुंदर बनाने तथा मन को शांति मिलती है।
  3. गुलाब के पौधे की कांट-छांट व गुडाई भी कर सकते है।
  4. गुलदाऊदी पर जल्दी आई कलियों को तोड दें तांकि बाद वाले फूल बडे आकर के हो।
  5. डहलिया को गमलों में लगा दें।
  6. ग्लैडियोलस के कन्दों को 2 ग्राम बेविस्टीन एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर, 10-15 मिनट तक डुबोकर उपचारित करने के बाद 20-30×20 सेमी पर 8-10 सेमी की गहराई में रोपाई करें। रोपाई से पूर्व क्यारियों में प्रति वर्गमीटर 5 ग्राम कार्बोफ्यूरान अवश्य मिलायें।
  7. एक हेक्टेयर रोपाई के लिए लगभग 1.5 से 2 लाख कंदो की आवश्यकता होती है।
  8. गुलाब के पौधों की कटाई-छंटाईकर कटे भागों पर डाईथेन एम० 45 का 2 ग्राम पति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

मुर्गीपालन (Poltry):

  1. बिछावन को नियमित रूप से बदलते रहे।
  2. मुर्गियों व चूजो को पर्याप्त प्रकाश उपलब्ध कराएं।
  3. सन्तुलित आहार निर्धारित मात्रा में दें।
  4. रानीखेत बीमारी से बचाव के लिए टीका लगवायें।

पशुपालन/दुग्ध विकास (Animal Husbandary):

  1. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  2. वर्षा ऋतु में पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं। अतः कृमिनाशक दवाओं को पिलाएं।
  3. पशुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराएं।
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