बीज व अनाज का भंडारण करते हुए सावधानियां (Safe of Storage Grain and Seed)

बीज का भंडारण करते हुए सावधानियां | बीज व अनाज का भंडारण करते हुए सावधानियां | Precaution of Storage Grain | Safe of Storage Grain | परंपरागत तरीकों द्वारा अनाज का सुरक्षित भंडारण | भण्डारण में रखने के बाद सावधानियाँ | अनाज को भण्डारण में रखने से पहले सावधानियां | अनाज को भण्डारण में रखते समय सावधानियां |बीज व अनाज का भंडारण करते हुए सावधानियां

बीज व अनाज का भंडारण करते हुए सावधानियां (Precaution of Storage Grain):

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1 बीज व अनाज का भंडारण करते हुए सावधानियां (Precaution of Storage Grain):

हमारे देश की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा किसान वर्ग की खुशहाली के लिये अधिक से अधिक अनाज उत्पादन बहुत महत्वपूर्ण है परन्तु इसके साथ-साथ अनाज के सुरक्षित भण्डारण का भी उतना ही महत्व है। किसान भाइयों अनाज  उत्पादन करने के बाद सीधा अनाज को खलियान या भंडारण घर रख देता है जिसके कारण से अनाज की सुरक्षा नहीं हो पाती हैं, बरसात से, जानवरों से, चूहों से, दीमक से आदि बचये जा सके, खलियान या भंडारण में करते हुए  निम्नलिखित  उपायों को अपनाकर  किसान भाई  अपने अनाज को सुरक्षित ढंग से  भंडारित  कर  होने वाली  हानी को  कम कर सकते हैं। तथा अनाज का उचित ढंग से भण्डारण न होने के कारण हर वर्ष कम से कम 10 प्रतिशत अनाज गोदामों में कीड़ों इत्यादि द्वारा नष्ट हो जाता है।

अनाज को मुख्यतः नुकसान निम्नलिखित कारणों से होता है।

  1. नमीः  अनाज के अन्दर की नमी तथा बाहर की नमी दोनों भण्डारित अनाज को हानि पहुँचाती है। नमी से अनाज में कीड़े का प्रकोप अधिक होता है, क्योंकि नमी उनकी वृद्धि के लिये अनुकूल होती हैं, जिससे अनाज सड़ जाता है तथा अंकुर निकल आते हैं। दाने एक दुसरे से जुड़ जाते है और दुर्गन्ध आने लगती है तथा फफूँदी भी लग जाती है जिससे अनाज काला व सफेद पड़ जाता है।
  2. कीड़े मकोड़ेः  कीड़े अनाज भण्डारों में अनाज के साथ ही रहते हैं और अनाज को बाहर और अन्दर से खाकर खोखला कर नुकसान करते हैं। इससे अनाज की मात्रा व पोषक तत्वों के गुणों को कम करते हैं और साथ ही साथ अनाज को अगली बिजाई के उपयुक्त भी नहीं छोड़ते क्योंकि कीड़े लगा अनाज का उगना असम्भव होता है।
  3. चूहेः  चूहे मनुष्य के स्वास्थ्य और खाद्य सामग्री को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। गोदामों में चूहे अनाज को काटकर खाते हैं और जितना अनाज ये खाते हैं उससे कई गुणा अनाज काटकर बेकार कर देते हैं। ऐसा अनाज उगाने या खाने योग्य नहीं रहता है, इसलिये चूहे की रोकथाम जरूरी है।

परंपरागत तरीकों द्वारा अनाज का सुरक्षित भंडारण:

सुरक्षित भण्डारण के लिये अनेक पारम्परिक प्रथाएँ आसानी से प्रयोग में लाई जाती हैं जो कि काफी किफायती और वातावरण के अनुकूल है। ये प्रक्रियाएं आमतौर पर स्थानीय रुप से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है। स्थानीय रुप से उपलब्ध पौधों और उनके उत्पादों को अनाजों के सुरक्षित भंडारण के लिए पुराने समय से उपयोग में लाया जाता रहा है। आधुनिक तौर-तरीके की तुलना में परंपरागत तौर तरीके अधिक सस्ते एवं आसानी से उपलब्ध है।

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घरेलू स्तर पर निम्नलिखित पारम्परिक विधियों का उपयोग अनाज भंण्डारण हेतु किया जा सकता है।

धूप में सुखाकर:

यह भंडारण की बहुत आसान एवं टिकाऊ विधि हैं जिसका प्रयोग लंबे समय से अनाज में नमी व कीटों के प्रजनन की रोकथाम के लिए किया जाता रहा है। इस विधि में कटाई के बाद अनाज को धूप में सूखाकर लंबे समय के लिए भंडारित कर देते है। इससे कीटों में होने वाली प्रजनन क्रिया रूक जाती है। यह विधि बड़े एवं छोटे दोनों स्तर के किसानो के लिए बहुत लाभदायी व प्रभावी है। यह प्रक्रिया अप्रैल, मई व जून के महीने में करने से किसी भी प्रकार के कीड़ो और कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है।

नीम की पत्तियों का उपयोग:

नीम की पत्तियों का उपयोग कीटों व कीड़ों से भंडारित अनाज को बचाने के लिए किया जाता रहा है। इसके लिए पेड़ से ताजी पत्तियों को एकत्र कर नीम की पत्तियों को छाया में सूखाकर सीधे अनाज के साथ मिलाकर, अनाज की पेटी को बंद कर दिया जाता है। यह विधि बहुत ही सस्ती, सुरक्षित एवं प्रभावी है।

नीम के तेल का उपयोग:

भण्डारण से पहले साबुत दलहनों में नीम का तेल (20 मिली. तेल प्रति 1 कि.ग्रा. दलहन) लगाकर रखने से दलहन में लोबिया धुन, दलहन धुन आदि से सुरक्षा मिलती है। इसमें बराबर मात्रा में अरण्डी का तेल मिलाने पर यह ज्यादा असरदार हो जाता है। इस तेल में कड़वापन होता है परन्तु इस तेल में भण्डारित दलहनों के स्वाद पर कोई असर नहीं देखा गया है। इसकी तेज गंध से कीड़ों का आक्रमण नहीं होता है और यह कीड़ों को अण्डों की अवस्था में भी मारने में सक्षम है।

हल्दी का उपयोग:

परम्परागत भंडारण विधि में हल्दी का उपयोग भी करते हैं। इसमें प्रति किलो अनाज में 40 ग्राम हल्दी का चूर्ण का प्रयोग किया जाता है। भंडारण से पहले अनाज को हल्दी के चूर्ण के साथ हल्के हाथ से रगड़ कर आधे घंटे के लिए छाया में सूखा देते हैं। कच्ची हल्दी का इस्तेमाल भी कीटों से सुरक्षा के लिए किया जाता है। इसके तेज गंध एवं जीवनाशी गुण के कारण कीट अनाज से दूर रहते है। यह उपचार कीटों से लम्बे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है और खाने की दृष्टि से भी सुरक्षित है।

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लहसुन का उपयोग:

ग्रामीण महिलाओं द्वारा लाल मिर्च तथा लहसुन का प्रयोग भी खाद्य पदार्थों के सुरक्षित भण्डारण के लिए किया जाता रहा है। लहसुन के जीवनाशी गुण के कारण कीड़ों के संक्रमण की संख्या को कम किया जा सकता है। लहसुन की कलियों को चावलों की सतह में रखकर अनाज की पेटी को अच्छे से बंद कर देते है। लहसुन की गंध के कारण कीडे पहुंच से बाहर हो जाते हैं।

नमक का उपयोग:

पुराने समय से ही नमक का उपयोग कवक एवं जीवाणुओं से बचाव के लिए किया जाता रहा है। नमक का ईमली भंडारण में उपयोग किया जाता है। जिसमें ईमली का छिलका हटाकर उसकी परतें बिछाई जाती है व बीच-बीच में नमक को एक समान रूप से फैलाया जाता है।

चूना उपचार:

चूना नाशीजीवों को नियंत्रित करने की एक विधि है, जो कि बहुत ही सस्ती एवं आसान उपाय है। नाशीजीवों को नियंत्रित करने के लिए इस विधि में चूने का चूर्ण बनाकर उसे चावलों के साथ मिला दें, फिर जूट से बने थैले में डालकर सूखे स्थान पर रख देने से इसकी महक से कीडें दूर भाग जाते है और उसकी प्रजनन प्रक्रिया को भी रोक देता है। साधारणतः 10 ग्राम चूने का इस्तेमाल 1 कि.ग्रा. अनाज को उपचारित करने में किया जाता है, यह उपचार नाशीजीवों के आक्रमण से लबें समय तक बचाता है।

राख का उपयोग:

यह विधि नियमित रूप से किसानों द्वारा पुराने समय से उपयोग में लाई जा रही है। इस विधि में दालों को भण्डारित करने के लिए मिट्टी से बने घड़े के अंदर ¾ भाग दालें व बाकि बचे एक चौथाई भाग में राख से भरकर बंद कर दे। 6 महीने के बाद यह विधि फिर से दोहराएं। अनाज को भी इसी प्रकार राख के साथ मिलाकर भण्डारित करते हैं, जो कीट रोधी होती है।

माचिस की डिब्बियों का उपयोग:

ग्रामीण महिलाओं द्वारा अनाज को भण्डारित करने में यह विधि भी उपयोग में लायी जाती है। इस विधि में सामान्यतः 6 से 8 माचिस की डिब्बियों को अनाज की पेटी की सतह में, बीच मे व ऊपरी हिस्से में रखकर उसे अच्छे से बंद कर देते हैं क्योंकि माचिस की तिल्लियों में फास्फोरस होता है जो कि कीड़ों के संक्रमण के रोकथाम में सहायक होता है। लेकिन इससे अधिक मात्रा प्रयोग करना हानिकारक है। नीम के घोल द्वारा उपचारित जूट से बने थैले का उपयोग अनाज का सुरक्षित भण्डारण करने के लिए जूट से बने थैले बड़ी मात्रा में उपयोगी हैं। भण्डारण से पहले थैलों को नीम के घोल से उपचारित किया जाता है। नीम के घोल को तैयार करने हेतु 10 लीटर पानी में 10 प्रतिशत नीम के बीज का चूर्ण बनाकर पोटली में बाँध कर पूरी रात पानी में डुबो कर रखें, तथा पोटली को निचोड़ कर निकाल लें, उसके बाद आधे घण्टे के लिए थैलो को नीम के घोल में डाल देते है। थैले को हमेशा छाया में सुखाकर ही इसका उपयोग अनाज भण्डारण के लिये करें। यह विधि एक वर्ष तक ही कीड़ों व कीटों से बचाव के लिए उपयोगी है। उपचारित जूट के बने थैलों का प्रयोग अनाज भण्डारण में बिना किसी भय के किया जा सकता है।

अनाज की सफाई व खलियान में सुखाना: 

किसान भाई सर्वप्रथम फसल को खेतों से अनाज की सुरक्षित भंडारण हेतु खलियान में अनाज की सफाई का ध्यान रखना होगा ताकि गोदाम में किसी का प्रकोप ना हो पाए इसके बाद हमें अनाज को धूप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए जब नमी 10% से कम हो जाए अर्थात दांत से दाने काटने पर कट की आवाज करें और दाना दो भागों में टूट जाए तब दाने को गोदाम में रखने लायक समझना चाहिए अन्यथा 10% से ज्यादा नमी होने पर कीट और 15 % नमी होने पर फफूंद व नमी 16% से ज्यादा हो तो अंकुर क्षमता नष्ट हो जाती है।

भण्डारण में रखने के बाद सावधानियाँ:

  • अनाज संग्रहण के बाद भी समय-समय पर अनाज को देखते रहें कहीं उनमें कीड़ा वगैरह तो नहीं लग गया या खराब तो नहीं हो रहा है। यदि अनाज में ढेले बन गयें हो या सफेद चूर्ण सा निकलता हो या अनाज का रंग बदल गया हो तो समझा जाता है कि अनाज खराब हो रहा है, ऐसी दशा में तुरन्त सावधानी बरतें। अनाज को जहां तक सम्भव हो सकें धूप और हवा दिखाते रहना चाहिए।
  • बरसात के समय अनाज को सुखाने के लिये गोदाम एवं कोठी से बाहर नहीं निकालना चाहिये तथा दरवाजे और खिड़कियां भी बन्द कर देनी चाहिए।
  • यदि अनाज में कीड़े लग गये हो तो उनका समय पर नियन्त्रण करना चाहिए।

गोदाम की सफाई मरम्मत करना:

  • किसान भाई अनाज को भंडारण की में रखने से पूर्व गोदाम की या भंडारण घर का अच्छी तरह से सफाई कर लेनी चाहिए जैसे जाले, मकड़ी, दीमक, पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर दे और दीवारों पर या जमीन आदि दरार हो तो उन्हें सीमेंट ईट से बंद कर अच्छी तरह से प्लास्टर कर देना देना चाहिए, दीवारों की मरम्मत करवा दें ।
  • गोदाम भंडारण गृह में कीटों से बचाव हेतु मेलाथियान 50 ईसी 1 लीटर प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर फर्श, दीवारों एवं छत में छिड़काव कर दें और गोदाम को 1 सप्ताह के लिए अब बंद करके रखें जिससे सारे हानिकारक कीट फफूंदी, बैक्टीरिया आदि समाप्त हो सके और साथ ही साथ नमी भी दूर हो जाए।

गोदाम भंडारण  गृह में अनाज को नमी से बचाव:

  • किसान भाई अनाज को भंडारण गृह में रखने से पूर्व  या विशेष ध्यान रखना चाहिए कि अनाज में नमी नहीं लगनी चाहिए इसके बचाव के लिए किसान बिछावन के रूप में लकड़ी के मजबूत तथ्य भूमि पर लकड़ी के सूखे पटिया या भूसा फैला दें या फिर प्लास्टिक की मोटी चटाई को बिछा दे और चटाई को दो परतों के बीच में एक पॉलिथीन लगा देनी चाहिए।
  • किसान भाई हम अक्सर बोरो को दीवारों से सटा के रखते हैं जो कि यह गलत है इससे बोरों में नमी कीट पतंगे, मकड़ी लगने की संभावना होती है हमेशा बोरो को  दीवारों से 40-50 सेंटीमीटर की दूरी में रखना चाहिए।

भंडारण गृह या गोदाम में अनाज का खुला भंडारण:

  • किसान भाइयों यदि अनाज का भंडारण पूरे कमरे में फैलाकर करना हो तो सबसे पहले हमें मोटी पॉलिथीन या चटाई को 2 परतों में जमीन या फर्श पर बिछा देनी चाहिए उसके बाद अनाज का भंडारण करें।
  • अनाज का भंडारण कमरे में करने से पूर्व अनाजों को कीटों से सुरक्षा हेतु नीम की हरी सूखी पत्तियों को अनाज के साथ मिलाकर रखते हैं, दलहनी अनाजों को समोच्च रखने के बजाय दाल के रूप में रखकर उसे बचाया जा सकता है, खाद्दनो में नमक हल्दी पाउडर या कोई खाद्य तेल मिलाकर रख सकते हैं और दलहनों में 1 मिलीलीटर सरसों का तेल या डालडा के प्रति किलो अनाज में मिलाकर रखने से भी कीटों का आक्रमण कम देखा गया है ध्यान देने वाली बात यह है कि अनाज नमी ना हो ।

बोरो, बखारी आदि की सफाई व उपचार:

  • किसान भाइयों भंडारण गृह में अनाज का भंडारण नई बोरियों का उपयोग करनी चाहिए नई बोरियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए यदि बोरियां पुरानी है तो उन्हें उपचारित करके प्रयोग में लाएं उपचारित करने हेतु मेलाथियान 50 ईसी की एक भाग मात्रा 500 भाग पानी में घोल बनाकर या फेनवलरेट 20 ई सी दवा का एक भाग मात्रा 2000 भाग पानी में मिलाकर बोरियों को 10 से 15 मिनट के लिए भिगो दें अब बोरियों को बाहर निकाले और छाया में सुखा लें इसी दवा के घोल  भण्डारण पत्र, बखारी, ड्रम आदि को सुखा उसके उपरांत ही अनाज को धोरी में पैक करें।
  • किसान भाई अनाज में कीटनाशक दवाई का अनुपात उपयोग करने के लिए जैसे एलमुनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56% 10 ग्राम पैकिंग का 150 ग्राम 100 घन मीटर या एलमुनियम फास्फाइड 15% 12 ग्राम पैकिंग का 600 ग्राम 1 मीटर दर से बोरियों के बीच में रख देते हैं।
  • किसान भाई यदि अनाजों का भंडारण बखारी या बोरियों में करना हो तो एलमुनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56% 10 ग्राम पैकिंग का एक पाउच या एलमुनियम फास्फाइड 15% 12 ग्राम पैकिंग का एक टेबलेट एक टन अनाज में रखना चाहिए लेकिन टेबलेट रखने से पूर्व बखारी को पूरी तरह से हवा का आवागमन  बंद होना चाहिए ।

भण्डारण के लिये स्थान का चुनाव:

  • भण्डारण स्थान आस-पास के स्थान से ऊँचा होना चाहिए। जहाँ दीमक का प्रकोप हो वहाँ भंडार गृह नहीं होने चाहिए ।
  • भंडार गृह की सतह चिकनी एवं गड्डे रहित होनी चाहिए।
  • भंडार गृह की दीवारों में किसी प्रकार की दरारें नहीं हो क्योंकि ये कीड़े के प्रजनन का महत्वपूर्ण स्थान होता है ।
  • भंडार गृह की खिड़कियाँ बंद होनी चाहिए।भंडार गृह की छत में भी दरारें नहीं होनी चाहिए, जिससे छत से आने वाली नमी को रोका जा सके ।

अनाज को भण्डारण में रखने से पहले सावधानियां:

  • अनाज रखने से पहले गोदाम या कोठी की सफाई अच्छी तरह करें तथा कूड़ा करकट इत्यादि बाहर निकाल दें ।
  • गोदाम या कोठियों के फर्श, दीवार व छतों पर पाई जाने वाली दरारों, एवं सुराखों को सीमेंट से बन्द कर देना चाहिए।
  • अनाज रखने से पहले कोठियों और गोदामों में सफेदी कर देनी
  • चाहिए।
  • अनाज संग्रहण के लिये नई बोरियां प्रयोग में लाएं। यदि बोरियां पुरानी हो तो नीम घोल द्वारा उपचारित करें व बोरियों को छाया में सुखा लें। तत्पश्चात अनाज भरें।

अनाज को भण्डारण में रखते समय सावधानियां:

  • अनाज को ढोने के लिये काम में लाई जाने वाली बैलगाड़ी, ट्रॉली आदि को अच्छी तरह साफ करना चाहिए।
  • अनाज को अच्छी तरह साफ करके सुखाना चाहिये। इसकी जांच दाने को दांत के नीचे काटने से की जाती है। यदि कट की आवाज आती है, तो अनाज भरने के लिए तैयार है।
  • सुखाने के बाद गरम अनाज को तुरन्त नहीं रखें। ऐसा करने से कीड़े-मकोड़े की बढ़ोत्तरी का खतरा रहता है। अनाज को रातभर ठंडा करने के बाद भरें ।
  • अनाज को खुला नहीं रखना चाहिये। खुले अनाज में धूल, कीड़े मकौड़े चूहों द्वारा नुकसान का डर रहता है। इस तरह से रखे गये अनाज का बचाव मुश्किल है।
  • अनाज की भरी बोरियां सीधे जमीन व दीवार से सटाकर नहीं रखनी चाहिए। उन्हें लकड़ी के तख्तों व बांस की चटाई पर थोड़ी ऊँचाई पर रखें।
  • कोठी में भी अनाज को पोलीथीन से ढककर बन्द कर दें ताकि अनाज में नमी नहीं जा सके।

 

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