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Soil Health Card Yojana 2022 | SHC scheme  

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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी कृषि योजना है। यह योजना 19 फरवरी 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा Soil Health Card योजना लॉन्च की गयी थी। इस योजना मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जिसे SHC योजना भी कहा जाता है, Department of Agriculture & Co-operation under the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare भारत सरकार द्वारा 19 फरवरी 2015 को सूरतगढ़, राजस्थान में शुरू की गई थी।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना | Soil Health Card Scheme:

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना Department of Agriculture & Co-operation under the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare की द्वारा संचालित की जा रही है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य प्रत्येक किसान को मिट्टी के पोषक तत्व को उनकी जोत की स्थिति देना और उन्हें उर्वरकों की खुराक के बारे में सलाह देना और मिट्टी के स्वास्थ्य को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आवश्यक मृदा पोषक तत्व के बारे में जानकारी देना है।
  • यह योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड SHC योजना में राज्य सरकारों द्वारा हर 3 वर्ष में एक बार मिट्टी की Soil Testing करने का प्रावधान है ताकि मिट्टी के पोषक तत्वों में सुधार किया जा सके।

Soil Health Card Yojana (SHC) महत्वपूर्ण बिंदु / Overview:

योजना का नाम Soil Health Card (SHC) Scheme (Soil Health Card Yojana)
आरम्भ की गई Department of Agriculture & Co-operation under the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare
आरम्भ की तिथि 19th February 2015
लाभार्थी भारत में रहने वाले सभी कृषक इस योजना के लिए पात्र हैं
उद्देश्य प्रत्येक किसान को मिट्टी के पोषक तत्व को उनकी जोत की स्थिति देना और उन्हें उर्वरकों की खुराक के बारे में सलाह देना और मिट्टी के स्वास्थ्य को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आवश्यक मृदा पोषक तत्व के बारे में जानकारी देना है।
योजना का प्रकार केंद्र सरकार योजना
Official website https://www.soilhealth.dac.gov.in/

 मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है | What is a Soil Health Card:

  • SHC एक प्रिंटिड रिपोर्ट है कि जो एक कृषक को उसकी प्रत्येक जोत के लिए  SHC प्रिंटिड रिपोर्ट सौंप दिया जाएगा।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड में 12 मापदंडों के संबंध में उसकी मिट्टी की स्थिति SHC एक प्रिंटिड रिपोर्ट में होगी, अर्थात् Nitrogen (N), Phosphorus (P), Potassium (K) (Macronutrients); Sulphur (S) (Secondary- nutrient); Zinc (Zn), Boron (B), Iron (Fe), Manganese (Mn), Copper (Cu) (Micronutrients); and pH, Electrical Conductivity (EC), Organic Carbon (OC) (Physical parameters).
  • SHC Card इसके आधार पर, खेत के लिए आवश्यक उर्वरक और मिट्टी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक को खेत में सुधार के लिए डाला जाएगा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की विशेषताएं:

  1. भारत सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत सभी किसानों को मिट्टी की जांच करने की योजना बना रही है।
  2. यह योजना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की की जाएगी।
  3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के रूप में, किसानों को एक रिपोर्ट मिलेगी जिसमें उनके विशेष खेत की मिट्टी के बारे में सभी विवरण होंगे।
  4. एक किसान को हर 3 वर्ष में एक बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा।
  5. GPS System और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हेक्टेयर और असिंचित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर के ग्रिड में मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे।
  6. राज्य सरकार अपने कृषि विभाग के कर्मचारियों के माध्यम से या किसी आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों के माध्यम से नमूने एकत्र करेगी।
  7. राज्य सरकार स्थानीय कृषि विभाग/विज्ञान महाविद्यालयों के छात्रों को भी शामिल कर सकती है।
  8. रबी और खरीफ फसल की कटाई के बाद या जब खेत में कोई खड़ी फसल नहीं होती है, तो मिट्टी के नमूने आम तौर पर साल में दो बार लिए जाते हैं।

मिट्टी की जाँच का उद्देश्य:

  1. फसलों में रासायनिक खादों के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करने के लिए।
  2. क्षारीय, ऊसर तथा अम्लिक भूमि के सुधार तथा उससे उपजाऊ बनाने का सही ढंग जानने के लिए।
  3. बाग व पेड़ लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।
  4. फसल लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।
  5. मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों का सही- सही निर्धारण कर मृदा स्वास्थ्य कार्डों के माध्यम से कृषकों तक पहुंचाना।
  6. विभिन्न फसलों की दृष्टि से पोषक तत्वों की कमी का पता करके किसानों को स्पष्ट सूचना देना।
  7. मृदा पोषक तत्वों की स्थिति ज्ञात करना और उसके आधार पर फसलों के अनुसार उर्वरकों / खादों को डालने की संस्तुति करना।
  8. मृदा की विशिष्ट दशाओं का निर्धारण करना, जिसमें मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारको की सहायता से ठीक किया जा सके।
  9. संतुलित उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।

मिट्टी की जाँच से लाभ:

  1. मृदा जांच से मृदा की उर्वरता स्तर का पता चलता है कि हमारी मृदा में कौन से तत्व की कमी है और कौन से तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
  2. इससे हम जो फसल उगाने जा रहे हैं उसमें उर्वरक या खाद की मात्रा तय हो जाती है।
  3. मिट्टी ऊसर या अनुपजाऊ तो नहीं हो रही है इसका भी पता चल जाता है।
  4. इससे कृषक अपनी फसल में उर्वरकों का अच्छी तरह से प्रबंधन करके अतिरिक्त लागत को कम कर सकते हैं।
  5. फसल को मृदा जनित रोग या अन्य रोग व्याधियों से बचाया जा सकता है।
  6. मृदा परीक्षण करने से उस खेत में 3 साल तक मृदा परीक्षण नहीं करना पड़ता। 3 साल बाद फिर से मिट्टी की जाँच करा सकते हैं ।
  7. कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार मिट्टी की जांच करेंगी और किसानों को मिट्टी की जांच और संबंधित SHC कार्ड की रिपोर्ट कृषकों को प्रदान की जाएगी।
  8. SHC किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने और अंततः उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।
  9. SHC कार्ड प्राप्त करने के बाद किसानों ने N, P और K का उपयोग कम कर दिया है, विशेष रूप से नाइट्रोजन के उपयोग से और सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग में वृद्धि हुई है जिससे उन्हें प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है।
  10. इसने किसानों को धान और कपास जैसी अधिक इनपुट-गहन फसलों से कम इनपुट-गहन फसलों की ओर विविधता लाने में मदद की है।
  11. इसने सरकारों से सब्सिडी वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसी विशिष्ट योजनाओं के निर्माण में मदद की है।
  12. भारत सरकार द्वारा नियोजित विशेषज्ञ मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए सुधारात्मक उपाय करने में किसानों की मदद करेंगे।

मिट्टी के नमूने का परीक्षण कौन और कहाँ करेगा:

मिट्टी के नमूने का परीक्षण सभी सहमत 12 मापदंडों के लिए अनुमोदित मानकों के अनुसार निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा।

  • कृषि विभाग के स्वामित्व वाले एसटीएल में और अपने स्वयं के कर्मचारियों द्वारा।
  • कृषि विभाग के स्वामित्व वाले एसटीएल में लेकिन आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों द्वारा।
  • आउटसोर्स एजेंसी और उनके कर्मचारियों के स्वामित्व वाले एसटीएल में।
  • KVK और SU सहित ICAR संस्थानों में।
  • विज्ञान महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं में छात्रों द्वारा एक प्रोफेसर/वैज्ञानिक की देखरेख में।

 मिट्टी की जाँच की आवश्यक सामग्री:

  1. कुदाल या बरमा (पेंच या ट्यूब या पोस्ट होल प्रकार)
  2. खुरपी
  3. कोर नमूना
  4. नमूना बैग
  5. प्लास्टिक ट्रे या बाल्टी
  6. मृदा परीक्षण टयूब (Soil Tube)
  7. बर्मा
  8. फावड़ा
 Related links are given below:

मिट्टी की जाँच कब करें:

  1. फसल की कटाई हो जाने अथवा परिपक्व खड़ी फसल में।
  2. प्रत्येक 3 वर्ष में फसल मौसम शुरू होने से पूर्व एक बार।
  3. भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो।
  4. परती अवधि के दौरान मिट्टी का नमूना लीजिए।
  5. खड़ी फसल में, पंक्तियों के बीच नमूने एकत्र करें।
  6. ज़िग-ज़ैग  पैटर्न में कई स्थानों पर नमूना लेने से एकरूपता सुनिश्चित होती है।
  7. गीले,  मुख्य बंड के पास के क्षेत्रों, पेड़ों, खाद के ढेर और सिंचाई चैनलों के नमूने लेने से बचें।
  8. उथली जड़ वाली फसलों के लिए, 15 सेमी गहराई तक नमूने एकत्र करें। गहरी जड़ वाली फसलों के लिए, 30 सेमी गहराई तक नमूने एकत्र करें ।
  9. खेत के मालिक की उपस्थिति में हमेशा मिट्टी का नमूना इकट्ठा करें जो खेत को बेहतर तरीके से जानता हो

मिट्टी की जाँच क्यों करें:

  1. सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न रोग की जानकारी।
  2. मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा की जानकारी।
  3. बोयी जाने वाली फसल के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता का अनुमान।
  4. संतुलित उर्वरक प्रबन्ध द्वारा अधिक लाभ।

मिट्टी की जाँच के लिए नमूना  कैसे करें:

  1. एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 4-5 स्थानों से ‘V’ आकार के 6 इंच गहरे गहरे गढ्ढे बनायें। एक साफ कंटेनर में ‘वी’ आकार के कट और उस जगह से मिट्टी की मोटी परत निकालें।
  2. यदि बरमा उपलब्ध नहीं है, तो कुदाल का उपयोग करके नमूना स्थान में 15 सेमी की गहराई तक ‘वी’ आकार का कट बनाएं।
  3. 15 सेमी की गहराई तक बरमा ड्राइव करें और मिट्टी का नमूना लें।
  4. प्रत्येक नमूने इकाई से कम से कम 10 से 15 नमूने लीजिए और एक बाल्टी या ट्रे में रखें।
  5. नमूनों को अच्छी तरह से मिलाएं और जड़ों, पत्थरों, कंकड़ और बजरी जैसी विदेशी सामग्रियों को हटा दें।
  6. एक खेत के सभी स्थानों से प्राप्त मिट्टी को एक साथ मिलाकर ½ किलोग्राम का एक सन्युक्त नमूना बनायें।
  7. मिट्टी को अच्छी तरह से मिश्रित नमूने को चार समान भागों में विभाजित करके किया जाता है। दो विपरीत तिमाहियों को छोड़ दिया जाता है और शेष दो तिमाहियों को हटा दिया जाता है और वांछित नमूना आकार प्राप्त होने तक प्रक्रिया को दोहराया जाता है।
  8. एक साफ कपड़े या पॉलिथीन बैग में नमूना ले लीजिए।
  9. किसान का नाम, खेत का स्थान, सर्वेक्षण संख्या, पिछली फसल उगाई, वर्तमान फसल, अगले मौसम में उगाई जाने वाली फसल, संग्रह की तारीख, नमूना का नाम आदि जैसी जानकारी के साथ बैग को लेबल करें ।
  10. सूखे हुए नमूने को कपड़े की थैली में भरकर कृषक का नाम, पता, खसरा संख्या, मोबाइल नम्बर, आधार संख्या, उगाई जाने वाली फसलों आदि का ब्यौरा दें।
  11. नमूना प्रयोगशाला को प्रेषित करें अथवा’ ‘परख’ मृदा परीक्षण किट द्वारा स्वयं परीक्षण करें।

मिट्टी के नमूना एकत्रित करने की विधि:

  1. मृदा के उपर की घास-फूस साफ करें।
  2. भूमि की सतह से हल की गहराई (0-15 सें.मी.) तक मृदा हेतु टयूब या बर्मा द्वारा मृदा की एकसार टुकड़ी लें। यदि आपको फावड़े या खुरपे का प्रयोग करना हो तो ‘’V’’ आकार का 15 सें.मीं. गहरा गड्ढा बनायें। अब एक ओर से ऊपर से नीचे तक 10-12 अलग-अलग स्थानों (बेतरतीब ठिकानों) से मृदा की टुकड़ियाँ लें और उन पर सबको एक साफ कपड़े में इकट्ठा करें।
  3. अगर खड़ी फसल से नमूना लेना हो, तो मृदा का नमूना पौधों की कतारों के बीच खाली जगह  से लें। जब खेत में क्यारियाँ बना दी गई हों या कतारों में खाद डाल दी गई हो तो मृदा का नमूना लेने के लिये विशेष सावधानी रखें।
  4. नमूना संख्या असाइन करें और इसे प्रयोगशाला मिट्टी नमूना रजिस्टर में दर्ज करें।
  5. यदि मौजूद है, तो बड़ी गांठों को तोड़ने के बाद कागज, बर्तन मे फैलाकर छाया में खेत से एकत्र किए गए नमूने को सुखाएं।
  6. एक कठिन सतह पर एक कागज या पॉलीथीन शीट पर मिट्टी फैलाएं और लकड़ी के मैलेट का उपयोग करके मिट्टी को उसके परम मिट्टी के कण में तोड़कर नमूना पाउडर करें।
  7. 2 मिमी छलनी के माध्यम से मिट्टी की सामग्री को छलनी करें।
  8. जब तक छलनी पर केवल 2 मिमी (कोई मिट्टी या क्लोड) की सामग्री न हो, तब तक पाउडर को दोहराते रहें।
  9. प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए उचित लेबलिंग के साथ एक साफ ग्लास या प्लास्टिक कंटेनर या पॉलिथीन बैग में छलनी और स्टोर से गुजरने वाली सामग्री को इकट्ठा करें।
  10. कार्बनिक पदार्थ के निर्धारण के लिए नमूना को पीसने और 0.2 मिमी छलनी के माध्यम से करना है।
  11. यदि नमूने सूक्ष्म पोषक तत्वों के विश्लेषण के लिए हैं, तो Fe, Cu और Zn के प्रदूषण से बचने के लिए नमूने को संभालने में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
  12. नमूनों के संग्रह, प्रसंस्करण और भंडारण के लिए पॉलिथीन का उपयोग करना बेहतर है।
  13. विश्लेषण से पहले नमूने की नमी की मात्रा का अनुमान लगाएं।

नोट: रासायनिक खाद की पट्टी वाली जगह से नमूना न लें। जिन स्थानों पर पुरानी बाड़, सड़क हो और यहाँ गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हो, वहाँ से मृदा का नमूना न लें। ऐसे भाग से भी नमूना न लें, जो बाकी खेत से भिन्न हो। अगर ऐसा नमूना लेना हो, तो इसका नमूना अलग रखें।

मिट्टी के नमूना की लेबलिंग (सूचना पर्चा):

खेत व खेत की फसलों का पूरा ब्योरा सूचना पर्चा में लिखें। यह सूचना आपकी मृदा की रिपोर्ट को अधिक लाभकारी बनाने में सहायक होगी। लेबलिंग (सूचना पर्चा) कृषि विभाग के Soil Lab के अधिकारी से प्राप्त किया जा सकता है। मृदा के नमूने के साथ सूचना पर्चा में निम्नलिखित बातों की जानकारी अवश्य दें।

  1. खेत का खसरा / खतौनी
  2. अपना पता
  3. अपना आधार कार्ड
  4. अपना मोबाइल नंबर

गहराई का नमूना लेने के लिए दिशा-निर्देश:

क्र.सं. फ़सल मिट्टी का नमूना गहराई
इंच
1 घास और घास के मैदान 2
2 चावल, उंगली बाजरा, मूंगफली, मोती बाजरा, छोटे बाजरा आदि । (उथली जड़ वाली फसलें) 6
3 कपास, गन्ना, केला, टैपिओका, सब्जियाँ आदि । (गहरी जड़ वाली फसलें) 9
4 बारहमासी फसलें, वृक्षारोपण और बाग फसलें 12, 24 और 36 इंच पर तीन मिट्टी के नमूने

 मृदा नमूना लेते समय सावधानियां:

  1. फसल अगर कतारों में बोई गयी हो तो कतारों के बीच की जगह मिट्टी न लें।
  2. असामान्य स्थान, जैसे सिंचाई की नालियाँ, दल-दली जगह, पुरानीं मेढ़ एवं पेड़ के निकट खाद के ढेर से नमूना न लें।
  3. खेत में हरी खाद, कम्पोस्ट तथा रासायनिक खाद डालने के तुरंत बाद मिट्टी का नमूना न लें।
  4. मिट्टी का नमूना खाद के बोरे या खाद की थैली में कभी न रखें।
  5. खेत से नमूना खेत की गीली अवस्था में न लें।
  6.  खेत की मिट्टी की जाँच तीन साल में एक बार अवश्य करवाएं।
  7. सिंचाई की नालियाँ, दलदली जगह, पेड़ के निकट, पुराना  से या जिस जगह खाद राखी गयी हो वहाँ का नमूना न लें।
  8. सूचना  पत्र को पेन्सिल से लिखें।
  9. मिट्टी का नमूना लेते समय आपको यह जानकारी रखनी होगी कि एक ही जगह से मिट्टी का नमूना नहीं लेनी चाहिए, अगर आप 1 एकड़ में नमूना लेते हैं तो आपको खेत के कम से कम 5-6 जगहों से नमूना लेना होगा। जैसे खेत के चार किनारे ( किनारे से  1 फ़ीट छोड़कर )।
  10.  मिट्टी का नमूना उस जगह से लेनी चाहिए जहां पर खाद का ढेर या गोबर की ढेर या राख का ढेर नहीं हो।
  11. पेड़ या नाली के पास से भी नमूना नहीं लेनी चाहिए।
  12. मेड के किनारे को छोड़कर उससे थोड़ी दूरी से नमूना लेनी चाहिए।
  13. आप अपने खेत में ऊंची नीची जगह और उपजाऊ पन के आधार पर 5-6 जगह से नमूने ले सकते हैं।
  14. उस खेत से नमूना ना ले जहां फसल लगी हो ,जब खेत खाली हो , फसल कट गई हो तब नमूना ले सकते हैं।
  15. जिस जगह से नमूना ले रहे हैं वहां की घास या फसल अवशेष को हटाकर साफ करके लें।
  16. मिट्टी का जो नमूना लेते हैं उसे एक साफ-सुथरी थैले में इकट्ठा करें।
  17. नमूना लाने के लिए किसी भी प्रकार के खाद या उर्वरक के बोरे या थैले में इकट्ठा ना करें।

 

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